Sunday, 16 August 2020

बच्चे की चाहत

 उसकी दो आंखें कहती हैं, जा रही हो मुझे छोड़कर पता हैं ये मुझेे मां।

ना रोक पाऊं ना सोच पाऊं रोकू कैसे जाने से तुझे मां

कभी करू रोने का बहाना कभी भूख का, 

करूं लाख जतन रोकने का, बिन तेरे नींद भी आए ना मुझे मां।

तुम होती हो घर, तो लगता मुझे कुछ खास है आज,

 हैं जैसे कोई त्योहार।

बिन तेरे ना मिलती खुशी किसी भी बात से ना बिन तेरे भाए किसी का लार दुलार ओ मां।।

बोल ना पाऊं लबो से अपनी पर तू समझ

मेरी ख्वाहिश इतनी सी, मां तेरे आंचल में खेलूं सदा ।

रहे तू करीब मेरे, मानले इतनी सी आरज़ू ओ मां।।

कहती हैं दो मासूम आंखे रख मुझे अपने करीब सदा ओ मां।।

 

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